चंडीगढ़: फर्जी वोट मामले में हरियाणा के पूर्व खेल एवं युवा कल्याण
मामलों के राज्यमंत्री सुखबीर कटारिया के खिलाफ दर्ज मुकद्मे से सम्बंधित
सूचना छुपाने के लिए हाई कोर्ट ने गुडगाँव पुलिस को ज़ारी किया है । याचिकर्ता
ओम प्रकाश ने अपने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम से हाई कोर्ट में गुहार लगाईं कि
उसने पूर्व मंत्री के खिलाफ ३२००० से ज्यादा फर्जी वोट बनाने के जुर्म के लिए २०१३
में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई थी। जब दो साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कोई
कार्यवाही नहीं हुई तो उसने सूचना के अधिकार के अंतर्गत गुडगाँव एस.आई.टी. से जांच
में हुई कार्यवाही की स्टेटस रिपोर्ट मांगी तो गुडगाँव पुलिस जवाब दिया कि सूचना देने
से जांच बाधित होगी; इसलिए सूचना नहीं दी जा सकती ।
याचिकर्ता ओम
प्रकाश कटारिया के वकील प्रदीप रापडिया ने कोर्ट को अवगत कराया कि शिकायतकर्ता को
जांच की प्रगति से सम्बंधित सूचना देने से जांच बाधित होने का सवाल ही पैदा नहीं
होता । बल्कि सूचना देने से जांच में पारदर्शिता आएगी और पुलिस में फैले
भ्रस्टाचार पर लगाम लगेगी औरन गलत जांच होने पर सम्बंधित अधिकारी की जिम्मेवारी
निर्धारण में भी सहायता मिलेगी । याचिकर्ता के वकील की बहस सुनने के बाद हाई कोर्ट
पुलिस को छे मई तक जवाब देने का समय दिया है ।
गुड़गांव गांव
निवासी और मतदाता
जागरुक मंच के
अध्यक्ष ओम प्रकाश कटारिया पुलिस को दी शिकायत में राज्यमंत्री सुखबीर कटारिया व
उसके सहयोगियों
पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर फर्जी वोट बनवाने का आरोप लगाया था। आरोप है कि आरोपी पूर्व मंत्री ने षड्यंत्र के तहत अन्य लोगों से मिलकर हाउस टैक्स की फर्जी रसीद तैयार की, फर्जी राशन कार्ड, फर्जी बिजली के बिल बनाकर वोट कार्ड बनवाए। इतना ही नहीं एक-एक व्यक्ति के कई कई फर्जी वोट भी बनवाए गए। इन वोटों का इस्तेमाल राज्यमंत्री ने 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में अपने पक्ष में किया और जीत हासिल भी की। बाद में प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का ओहदा भी दे दिया। सभी मामलों की जांच एसआईटी कर रही है।
पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर फर्जी वोट बनवाने का आरोप लगाया था। आरोप है कि आरोपी पूर्व मंत्री ने षड्यंत्र के तहत अन्य लोगों से मिलकर हाउस टैक्स की फर्जी रसीद तैयार की, फर्जी राशन कार्ड, फर्जी बिजली के बिल बनाकर वोट कार्ड बनवाए। इतना ही नहीं एक-एक व्यक्ति के कई कई फर्जी वोट भी बनवाए गए। इन वोटों का इस्तेमाल राज्यमंत्री ने 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में अपने पक्ष में किया और जीत हासिल भी की। बाद में प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का ओहदा भी दे दिया। सभी मामलों की जांच एसआईटी कर रही है।
No comments:
Post a Comment