Saturday, September 10

प्राइवेट कॉलेज भी आरटआई के दायरे में : हाई कोर्ट ने कॉलेज व यू.जी.सी. को ज़ारी किया नोटिस

चंडीगढ़ शुक्रवार 09.09.2016: सरकारी सहायता प्राप्त प्राइवेट कॉलेज भी सूचना के अधिकार के अंतर्गत जवाबदेही से नहीं बाख सकते । ऐसे ही एक मामले में याचिकर्ता के वकील प्रदीप रापडिया की बहस सुनने के बाद हाई कोर्ट के जज गुरमीत संधावालिया ने शुक्रवार को इन्दिरा गांधी महिला कॉलेज कैथल, सूचना आयोग, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग व शिक्षा विभाग हरियाणा को नोटिस ज़ारी करते हुए २१ अक्तूबर तक जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं ।

दरअसल याचिकर्ता मोनिका सांगवान ने इन्दिरा गांधी महिला कॉलेज कैथल में आरटीआई लगाकर कॉलेज में यौन शोषण अधिनियम लागू करने के सम्बन्ध में सूचना मांगी थी, लेकिन प्रिंसिपल ने ये कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया कि याचिकर्ता न तो कॉलेज की छात्रा है और ना ही कॉलेज की कर्मचारी । जब याचिकर्ता ने सूचना आयोग में याचिका दायर की तो सूचना आयुक्त योगेंदर पॉल गुप्ता ने अपने फैंसले में कहा कि याचिकर्ता ये साबित नहीं कर पाई कि कॉलेज बहुत अधिक मात्रा में सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करता है, इसलिए कॉलेज सूचना देने के लिए बाध्य नहीं है । याचिकर्ता ने सूचना आयोगे से प्रार्थना की कि विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग व शिक्षा विभाग का  वित्तीय सहायता से सम्बंधित दस्तावेज़ मंगवाकर इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि कॉलेज सरकार से ९५% वित्तीय सहायता प्राप्त करता है । लेकिन सूचना आयुक्त योगेंदर पॉल गुप्ता ने याचिकर्ता की मांग को ठुकराते हुए कहा कि सरकारी वित्तीय सहायता को साबित करने की जिम्मेवारी याचिकर्ता की है ।     
ऐसे में याचिकर्ता ने एडवोकेट प्रदीप रापडिया के माध्यम से सूचना आयोग के फैंसले को  हाई कोर्ट में चुनौती दी। याचिकर्ता के वकील प्रदीप रापडिया बहस के दौरान कहा कि सूचना के अधिकार कानून का मकसद सरकारी महकमों व सरकारी फंड लेने वाली सभी प्राइवेट संस्थाओं की जवाबदेही तय करना और पारदर्शिता लाना है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। सरकारी सहायता प्राप्त प्राइवेट कॉलेज भी इसके दायरे में आते हैं ।  इन्दिरा गांधी महिला कॉलेज कैथल सरकार से ९५% वित्तीय सहायता प्राप्त करता है और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग भी लगाकर वित्तीय सहायता प्रदान करता है  लेकिन एक आम याचिकर्ता से ये उमीद करना कि वो प्राइवेट संस्थाओं को प्राप्त होने वाली वित्तीय सहायता की पूर्ण जानकारी एकत्रित करके सूचना आयोग को दे तो ये सूचना के अधिकार के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ होगा । सूचना के अधिकार कानून में सूचना आयोग को एक कोर्ट वाली पर्याप्त सभी शक्तियां प्रदान की गयी है; जिससे वो सम्बंधित सरकारी विभाग से किसी प्राइवेट संस्था को मिलने वाली वित्तीय सहायता की पुष्टी कर सकता है  याचिकर्ता के वकील की बहस सुनने के बाद हाई कोर्ट ने २१ अक्टूबर तक कॉलेज व यू.जी.सी. को अपना पक्ष हाई कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं
ORIGINAL ORDER

IN THE HIGH COURT OF PUNJAB AND HARYANA
AT CHANDIGARH
C.W.P. No.:________of 2016

 Monika Sangwan                                         .................Petitioner
//Versus//
1.      State Information Commission, Haryana
Through its Secretary,
SCO No. 114-115 (1ST Floor), Sector 8-C, Chandigarh.
2.      Indira Gandhi (P.G) Mahila Mahavidyalaya,Kaithal
Through its Principal
           Karnal Road, Kaithal – 136027
3.      Department of Higher Education, Haryana,
           Through its Director
           Shiksha Sadan, Sector – 5, Panchkula (Haryana)
4.      University Grants Commission
           Through its Secretary
           Bahadur Shah Zafar Marg, New Delhi-110002                    ............Respondents

Chandigarh                                                             (PARDEEP KUMAR RAPRIA)
Dated: 09.09.2016                                                                ADVOCATE
                 Counsel for the Petitioner
CIVIL WRIT PETITION UNDER ARTICLE 226/227 OF THE CONSTITUTION OF INDIA FOR ISSUING A WRIT IN THE NATURE OF CERTIORARI QUASHING THE IMPUGNED ORDER DATED 29.10.2015 (ANNEXURE P-8) PASSED BY THE STATE INFORMATION COMMISSION, HARYANA.
FURTHER, AS AN INTERIM RELIEF, STAY THE OPERATION OF THE IMPUGNED ORDER DATED 29.10.2015 (ANNEXURE P-8) PASSED BY THE STATE INFORMATION COMMISSION, HARYANA.
FURTHER ISSUE A WRIT IN THE NATURE OF MANDAMUS DIRECTING THE RESPONDENT NO. 2 TO IMPLEMENT THE SECTION 4 AND OTHER PROVISIONS OF THE RIGHT TO INFORMATION ACT, 2005 IN ALL THE EDUCATIONAL INSTITUTION/S UNDER IT.
FURTHER, DIRECT THE RESPONDENTS TO PROVIDE THE REQUISITE INFORMATION SOUGHT IN THE RTI APPLICATION DATED 08.09.2014 (ANNEXURE P-3)
AND/OR
CALL THE RECORDS FROM THE RESPONDENT No. 3 AND 4 RELATING TO THE GRANTS/FINANCIAL ASSISTANCE OR ANY OTHER ASSISTANCE GRANTED TO THE RESPONDENT No. 2.
AND/OR
ISSUE ANY OTHER APPROPRIATE WRIT, ORDER OR DIRECTION WHICH THIS HON’BLE HIGH COURT MAY DEEM FIT AND PROPER IN THE FACTS AND CIRCUMSTANCES OF THE PRESENT CASE.
IN THE HIGH COURT OF PUNJAB AND HARYANA 
 AT CHANDIGARH
CWP-18866-2016 
MONIKA SANGWAN 
V/S 
STATE INFORMATION COMMISSION, HARYANA AND OTHERS
"Present: Mr. Pardeep Kumar Rapria, Advocate 
                         for the petitioner. 
                                                        **** 
Inter alia relies upon the observations made by the Apex Court in Paragraph No.39 in 'Thalappalam Ser. Cooperative Bank Ltd. and others Vs. State of Kerala and others '2013 (16) SCC 82 to submit that even private organization though not owned or controlled but substantially financed by the appropriate government will also fall within the definition of public authority under Section 2 (h) (d) (ii) of the Right to Information Act, 2005. 
It is, accordingly, submitted that there was a inbuilt mechanism in the Act to examine whether it is owned financed or controlled authority directly or indirectly by the funds provided by the authorities. It is submitted that in such circumstances by shifting the onus upon the petitioner, the finding that the college is not a public authority is not justified. 
Notice of motion for 21.10.2016". 
                                                               (G.S. SANDHAWALIA) 
SEPTEMBER 09, 2016                                      JUDGE 

 Downloaded on - 10-09-2016 09:42:28 :::

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