10 हज़ार करोड़ से ऊपर के वैट घोटाले में हरियाणा सरकार ने बहस के लिए फिर से समय माँगा।
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई पर लोकायुक्त की एस.आई.टी. रिपोर्ट पर अभी तक की गयी कार्यवाही पर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।
चंडीगढ़: हरियाणा में सरकारी अधिकारियों,व्यपारियों की मिलीभगत से हुए चर्चित दस हजार
करोड़ के वैट रिफंड घोटाले मामले में मंगलवार को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई
हुई। एक बार फिर से हरियाणा
सरकार ने बहस के लिए समय माँगा । हाई कोर्ट के जज राजन गुप्ता ने
हरियाणा सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई पर लोकायुक्त की एस.आई.टी. रिपोर्ट पर अभी
तक की गयी कार्यवाही पर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं । इससे पहले 3 मार्च 2017 को भी हरियाणा सरकार ने लोकायुक्त की
एस.आई.टी. रिपोर्ट पर की गयी कार्यवाही पर रिपोर्ट पेश करने के लिए समय माँगा था ।
इस मामले में बीजेपी सरकार का रवैया काफी हैरान करवाने वाला है। पिछली सरकार में हुए वैट रिफंड घोटाले की जांच सीबीआई से न करवाना और इसके लिए कतराना काफी कुछ बयां करता है।
इस मामले में बीजेपी सरकार का रवैया काफी हैरान करवाने वाला है। पिछली सरकार में हुए वैट रिफंड घोटाले की जांच सीबीआई से न करवाना और इसके लिए कतराना काफी कुछ बयां करता है।
ज्ञात रहे कैथल के रघबीर सिंह और राजस्थान के शिव साहनी ने
एडवोकेट प्रदीप रापड़िया के माध्यम से से हाई कोर्ट दायर याचिका में आरोप लगाया
गया है कि एक बड़े घोटाले को दबाया जा रहा है, यह करीब एक लाख करोड़ रुपये का घोटाला है और बड़ी बिल्डर कंपनियों ने
सरकार को चूना लगाया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया
गया है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बड़े स्तर पर वैट रिफंड लिया गया, जबकि वैट अदा किया ही नहीं गया था। याचिका
में मांग की गई है कि चूंकि यह मामला अंतर्राज्यीय है और देश की नामी बिल्डर
कंपनियों ने सरकार को चूना लगाया है, ऐसे में सरकारी
एजेंसियां निष्पक्ष जांच नहीं कर सकतीं, लिहाजा जांच
केंद्रीय निष्पक्ष एजेंसी से कराई जानी चाहिए। याचिकर
में यह भी मांग की गयी थी कि वैट रिफंड घोटाले का पैसा मनी लांडरिंग में लगा हुआ
है, इसलिए वैट रिफंड की वसूली की जानी चाहिए व मनी
लांडरिंग की जांच होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि जस्टिस परमजीत सिंह धालीवाल ने सी.बी.आई.,
ई.डी.,आयकार विभाग व हरियाणा सरकार को नोटिस ज़ारी करते हुए घोटाले से जुड़ा सारा
रेकॉर्ड सील करने को कहा था और मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिकर्ता को
सुरक्षा देने के आदेश दिए थे। ई.डी. पहले ही केस दर्ज कर चुकी है जिसमे
हरियाणा में दर्ज 59 एफ.आई.आर. व एक एफ.आई.आर. गुजरात में दर्ज होने का उल्लेख है। प्रिवेंशन
ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच जारी है। कोर्ट को बताया गया कि इस
मामले के तार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात व
दिल्ली से जुड़े हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को निर्धारित की गयी
है।
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