Friday, August 4

In 'Bribe for Vote' matter the HC says the Govt. is expected to dispose of complaints as per Law


CHANDIGARH: ‘CASH FOR VOTE’ or ‘BRIBE FOR VOTE’ in a democracy is equal to the Democracy for Sale/Auction’ This is the plea of Pardeep Rapria, Advocate for the RTI Activist P.P. Kapoor, in the Punjab & Haryana High Court, seeking Vigilance Investigation into the alleged demand of bribe by the Municipal Counsellors of Municipal Committee (MC), Samalkha (Panipat) as a consideration for not supporting the no-confidence motion against the present President of MC, Samalkha. J. Rajan Gupta of the High Court, after hearing the Counsel for Petitioner, disposed of the writ petition with observation that, ‘the Respondents, i.e., Vigilance Department, SP, Panipat are expected to dispose of the representations as per law.’ In view of this the Counsel for Petitioner withdrew the petition with liberty to pursue the representations made to the Haryana Vigilance Department and S.P. Panipat.
            The RTI Activist P.P. Kapoor, through his Counsel Pardeep Rapria, submitted before the High Court that the current President Municipal Committee, District-Panipat, openly confessed before the public gathering with a sworn Affidavit that his successful election for the post of President was actuated by the huge bribe money; paid to the Local MLA and Municipal Counsellors(MCs) and now again MCs were demanding Rs.25/- lakhs for each MC as a consideration for not supporting the no-confidence motion against him. The Petitioner’s Counsel Mr. Rapria argued that the demand of bribe money by the Municipal Counsellors; clearly heard in the audio-CDs attached with the petition, for not bringing no-confidence motion is so blatant and outrageous that a person feels as if the Democracy is for Sale/Auction. Outraged by these developments the Petitioner had written to the Chief Secretary, Vigilance Department, Haryan, S.P. Panipat etc. requesting registration of FIR under the Prevention of Corruption Act, but all in vain. Aggrieved with the inaction of the Haryana Govt. and Police by not registering FIR against the MCs seeking bribe money; the Petitioner has knocked the doors of High Court seeking directions to the Haryana and Haryana Police to probe into the allegations of the demand of bribe money for supporting Mr. Ashok Kuchhal as a president of the MC, Samalkha. The Supreme Court’s directions in Lalita Kumari, in this regard, are clear that on receipt of information about offence the Police is bound to register FIR and investigate.
‘Corruption not only poses a significant danger to the quality of governance, but also threatens in an accelerated manner the very foundation of India's democracy, rule of law and statehood. Time has come when the problem of corruption needs to be analyzed in the context of its potential implications for Fundamental Rights and Human Rights.’ Petition reads.

The Khattar Govt.’s decision in the matter will have huge bearing on the frequent allegations of exchange of bribe in the municipal elections for the post of President.
ORIGINAL RECORDINGS PART OF THE WRIT PETITION ARE:
VERNACULAR ANNEXURE P-3

दिनांक 19/06/2017 को दोपहर 2.44 बजे नगर पालिका समालखा के अध्यक्ष अशोक कुच्छल ने अपने फोन से भाजपा की महिला पार्षद श्रीमति पूनम झंडा पत्नी श्री सतीश कुमार के ससुर पूर्व पार्षद सुरेश झंडा को उसके मोबाइल न. 94167-34747 पर फोन किया। सुरेश झंडा के साथ पार्षद जयपाल कुहाड़, पार्षद प्रवीन उर्फ बॉबी जांगड़ा, पार्षद श्रीमति प्रवीन कौर के पति केहर सिंह बैनीवाल भी मौजूद थे। इनकी बातचीत इस प्रकार हुई :-
पार्षद  जयपाल कुहाड़ - हैलो।
अशोक कुच्छल - सर
जयपाल कुहाड़ - हैलो
अशोक कुच्छल - सर
जयपाल कुहाड़ - हां जी।
अशोक कुच्छल - नमस्कार।
जयपाल कुहाड़ - नमस्कार अंकल जी।
अशोक कुच्छल - मैं कहूं जनाब एक बार मिल लो, निपटाओ इस काम नै। वापस आ जाओ।
जयपाल कुहाड़ - मिल रहेये तेरे तै, तू नोट बोल चाचा। भैण नै चोद। हां बोल दिए बस। बोल कै रूपये देवेगा?
अशोक कुच्छल - जो तू चाहवेगा।
जयपाल कुहाड़ - स्पष्ट।
अशोक कुच्छल - जो आपने कही थी ना। चांद ओर तै, वही बात मंजूर है।
जयपाल कुहाड़ - कोड बै कही थी मैंने। बात भी हुई थी तेरी मेरी इबै?
अशोक कुच्छल - जब मैं कहणे लग रया।
जयपाल कुहाड़ - और कितने देवेगा? बोल। इबे छोड़ देवेंगे। अपने घर वापिस। कल के भूले अपने घर वापिस। क्या दिक्कत है?
अशोक कुच्छल - पांच-पांच डाल लो।
जयपाल कुहाड़ - अपने मान-सम्मान ऊपर बोल, जा तेरे से वादा कर लिया दोबारा। बोल।
अशोक कुच्छल - पांच-पांच डाल लो सबके।
जयपाल कुहाड - नहीं खपेगी हमारी।
अशोक कुच्छल - और मेरे पे ले लिया बाद में।
जयपाल कुहाड़ - ओ चाचा।
अशोक कुच्छल - भाई ठोढ़ी हाथ लगांऊ आज।
जयपाल कुहाड़ - लो बात कर लो एक बार।
केहर सिंह बैनीवाल - 25-25 का कर दो। चार ही तो करने हैं।
अशोक कुच्छल - हैलो।
प्रवीन जांगड़ा - सर नमस्कार। बॉबी बोल रया हूं जी, चाचा जी, ठीक हो।
अशोक कुच्छल - मैं न्यू कह रहया था।
प्रवीन जांगड़ा - मैं न्यू कह रया था चेयरमैन साहब के महारे धोरे एक बार फोन नी
आया।
अशोक कुच्छल - मैं दस फोन मिला लिए कसम परमात्मा की। सुणो। भाई सुणो। एक बात कहूं। हैलो। हैलो।

दिनांक 19/06/2017 को दोपहर 2.49 बजे नगर पार्षद प्रवीन उर्फ बॉबी जांगड़ा ने अपने फोन न. 98130-34852 से पालिका समालखा के अध्यक्ष अशोक कुच्छल को फोन किया। महिला पार्षद पूनम देवी के ससुर सुरेश झंडा के साथ पार्षद जयपाल कुहाड़, पार्षद प्रवीन उर्फ बॉबी जांगड़ा, पार्षद श्रीमति प्रवीन कौर के पति केहर सिंह बैनीवाल भी मौजूद थे। इनकी बातचीत के अंश:-
सुरेश झंडा(पार्षद पूनम झंडा का ससुर)-   फोन क्यूं कटै? फोन क्यूं कटै?
अशोक कुच्छल-     हैलो।
सुरेश झंडा-   फोन क्यूं कटै? कुछ कह रहे हैं। इन्हें 25-25 भिजवा दे। नहीं तो हम भाजे याड़े तै। इब मोड़ी गाड़ी, एक मिनट नी लागदी।
अशोक कुच्छल - भाई मेरी इतनी गुंजैश कोनी।
सुरेश झंडा-   भाई तैन पीछे भी धोखा कर राखया सै, किसै तै तनै 18, किसै तै 19, किसै तै 30, अर किसै तै 35 दे गया। इब तो न्यूं कह रहे हैं, चारों एक ही गाड़ी में हैँ। इब हां कर, इब मोड़ी गाड़ी, इबी मोड़ी गाड़ी। न्यू कहवै सै अक 25-25 लाख तो घणे सै।
जयपाल कुहाड़ पार्षद- घणे नही हैं, इतनै कमवां देवेंगे।
अशोक कुच्छल - सुणो भाई, सुणो भाई। थोड़ा मेरी तरफ लखाओ। मैं इस काबल कोनी।
केहर सिंह बैनीवाल- तने हमारी कान्ही कौणा देखया। किसै नै कितणे दे गया, किसै नै   कितणे। तू हमारी कानी कोणी लखाया।
सुरेश झंडा - तनै तो कोनी देखया तनै। अड़े इतने देण लग रया। औड़े इतने देण लग रया था। ये भी तो फर्क किए बैठया सै। तू हमारी काणी लखाता तो क्यूं होता ये काम।
अशोक ॠकुच्छल-   कोई बात नी, इब लखाऊंगा।
सुरेश झंडा - कर ले, इब कितने दिवावेगा। हां प्रधान जी।
केहर सिंह बैनीवाल- हां प्रधान जी।
अशोक कुच्छल- प्रधान जी, थोड़ा मैंने देख लयो। मैं-मैं
केहर सिंह बैनीवाल - प्रधान जी, सुअं खांदे तो होंदे नी, देख कदै कितै हमें भी झूठे मरवा दियो। भाई हैं।
अशोक कुच्छल - ये तो भूल जाओ। इस बात ने तो भूल जाओ। ये बातें कहण की नी होया कर दी।
केहर सिंह बैनीवाल - भाई हैं आपके। भाई हैं आपके। झंडा साहब ने जो कह दिया फाइनल है।
अशोक कुच्छल - सुणो। थोड़ा सा।
सुरेश झंडा - प्रधान जी, अपणा मन बणा के फोन कर दियो दोबारा, फालतु बातां मैं कुछ नहीं धरया।
अशोक कुच्छल - ठीक है। ठीक है।
दिनांक 19/06/2017 को दोपहर 3.10 बजे पालिका प्रधान अशोक कुच्छल ने पार्षद श्याम सुंदर बरेजा को उसके मोबाइल न. 92151-33017 पर फोन किया। दोनों के बीच हुई वार्तालाप :-
पार्षद श्याम बरेजा - हैलो।
अशोक कुच्छल - भाई नमस्ते
श्याम बरेजा - हां जी प्रधान जी कैसे हो? राम-राम।
अशोक कुच्छल - मैं कह रहा था कि पहले थोड़ा खर्चा हो गया था मेरा, कसर रह गई थी, मुझे लूटन की?
श्याम बरेजा - प्रधान जी, देखो ऐसा है, हम तो कतई खुश नहीं हैं, ये सारा काम एम.एल.ए का कराया होया है। एमएलए विधायक जी कहण लगे सारे एमसी इक_े होकर बोलो क्या प्रोग्राम है? हम भी वहां चले गए। सारे एमसी वहां एमएलए के पास इक_े हो रहे थे, हम भी हो लिए साथ।
अशोक कुच्छल - चलो आपकी आत्मा यही कहती है?
श्याम बरेजा - जब विधायक जी के पास सारे एमसी चले गए तो हम भी चले गए। हम अकेले क्या करते?
अशोक कुच्छल - आप लोग एक बात कहते थेे कि पहले हिंट दे देते तो लूटवाते नहीं। खर्चा तेरा बहुत हो गया, आगे तो ना लुटियो।
श्याम बरेजा - चलो जो हो गया, सारे इक_े हो चलो, आप भी हमारे साथ रल लयो। विधायक जी के पास चलो सारे। विधायक जी जो आदेश करते हों। रलण ने तो हम विधायक जी से दूर हो ना सकते, ना आप हो सकते।
अशोक कुच्छल - रल तो लें अभी कौन सी बात हो गई? कम से कम दस रूपये का टोटा तो पूरा करवा देते।
श्याम बरेजा - मैंने तो आपका टोटा कराया नी। प्रधान जी मैंने कोई एक पैसा खर्च कराया हो?
अशोक कुच्छल -या बात तो एक सैकेंड में कह दी अब रल लो।
श्याम बरेजा - रलण ने तो मैंने नू कही थी, अपणे सारे कठे होकर आप भी चलो विधायक जी के पास। हम विधायक जी के साथ हैं सारे।
अशोक कुच्छल - मैं तो विधायक जी से आज तक दूर नहीं। मेरी तो बात ही अलग है। अब तक अलग नी विधायक जी से।
श्याम बरेजा - दूर होना भी नहीं चाहिए।
अशोक कुच्छल -बाकी चलो जो आपका दिल-दिमाग है। सोच अच्छी है आपकी।
दिनांक 21/06/2017 को 10.46 बजे सुबह अशोक कुच्छल ने अपने फोन से नगर पार्षद बिजेन्द्र पाल गौतम को उसके फोन न. 70155-80998 पर फोन किया। फोनवार्ता :-
पार्षद बिजेन्द्र गौतम-      हैलो।
अशोक कुच्छल - पंडित जी राम-राम
बिजेन्द्र गौतम - राम-राम प्रधान जी, राम-राम
अशोक कुच्छल - पंडित जी आ जाओ ना वापस, क्यू इन पैसों के चक्करों में क्यू बोले हो रहे हो कती यार?
बिजेन्द्र गौतम - हम कद बोले हो हरे हैं भाई साहब, हम तो आपनै शिक्षा दे रहे हैं। हम थोड़ी ना बोले हो हरे हैं। हम तो अपणी मर्जी से घूमण जा रहे हैं। हम तो आपकी कानी ना हैं। आप बताओ, हम तो आपकी आंख खोलण खातर आ रहे हैं आडै़।
अशोक कुच्छल - चलो।
बिजेन्द्र गौतम - सारे पार्षद तो नगरपालिका में बैठे रहये और आप सैक्रेटरी साहब के धोरे बाहर के बाहर ओ जै ओ जै। आपते 20 काम कहे, आप ने एक नहीं करया, एक वी।
अशोक कुच्छल - चलो काम के लिए।
बिजेन्द्र गौतम - अर नी, कल नै उड़े आवेंगे लोगां के बीच में यह बात कहूंगा। और हम आपकी गेलयां हैं, हम आपसे अलग नहीं। हम तो आपणे शिक्षा देण लाग रहे हैं। मतलब चेयरमैन बणे पीछे भगवान नहीं बण जांदा। और हमारे तै आपकी कीमत है हमारे तै ताकत है। और हमारे ही लात मारण लाग रहे आप। मैंने बीस बार नहीं कहयां, रोटी-पाणियां ने कोई नी चाहंदा। हमें हमारे काम करवा। आप ते दस बार कही  या बात। आपने एक नहीं सुणी। हमारे घरां के करण गया था? मैं नाट लिया था तेरे तै?
अशोक कुच्छल - चलो गुस्सा ठंडा कब करोगे।
बिजेन्द्र गौतम - नहीं, गुस्सा तो नहीं कर रहे भाई साहब
अशोक कुच्छल - गुस्सा करना आपका अधिकार है। गुस्सा करना चाहिए।
बिजेन्द्र गौतम - हां अर सुण रूपये आधी रात अपणे रूपये ले लिए, जे फालतु बात करेगा तै।
अशोक कुच्छल - अच्छा।
दिनांक 21/06/2017 की दोपहर को अशोक कुच्छल पालिका चेयरमैन ने पंडित जयभगवान शर्मा (जोकि वार्ड- 4 की नगर पार्षद श्रीमति कुसुम शर्मा का पति है) को उसके मोबाईल न. 98136-58879 पर फोन किया। उनकी वार्तालाप इस प्रकार है :-
जयभगवान शर्मा - राम-राम प्रधान जी।
अशोक कुच्छल - राम-राम प्रधान जी, आजो। मेरी हो ली बात सतनारायण भाई ते बात। जो कहोगे मैं दे दूंगा। वो, वो 25 लाख कहवैं मैं, 25 लाख ज्यादा हैं। थोड़ा सा मेरी तरफ देख के आजो, किसी तै कहण की जरूरत नी, मैं आपके साथ हूं। मैं कहूं था 5-7 लाख ले लो। वो बोले नहीं भाई हमारे पे टोटा है। पीछे भी टोटे में रह गए। चलो मान ली अपाकी बात। मैं ना नी करदा, पर आ जाओ। बहुत हो लिया।
जयभगवान शर्मा - ठीक है प्रधान जी।
अशोक कुच्छल - और साथ में किन्हें ले के आवोगे? उसने मेरे तै दो जणयां की बात की थी। इक बॉबी की और आपकी।
जयभगवान शर्मा - मिलता हूं। मैं मिलता हूं।
अशोक कुच्छल - आज मिल लोगे, फिर।
जयभगवान शर्मा - हां जी, हां जी, आ जाऊंगा।
अशोक कुच्छल - मिल लो निबटाओ इस बात नै। ज्यादा लम्बी बात तूल नहीं पकड़ते। दादा कुछ नहीं है, देखो आप अपनी जिम्मेवारी के मालिक हो। समझ गए ना, सब हम इक_े हैं। मैं किसी बात तै पीछे थोड़ी हट रहया हूं। आपसे।
जयभगवान शर्मा - नहीं, नहीं, मिलते हैं आपसे। यहां मिल लेंगे आपसे।
अशोक कुच्छल - तो सुनील दादा ने भी बात कर लो। कोई बात नहीं है। इस गेम ने खत्म करो। बहुत हो जा ली। क्यों गेम बना रहे हो। खामखाह।
जयभगवान शर्मा - प्रधान जी हम तो शुरू से आपके साथ थे। हम सिस्टम बनाने लग रहे हैं।
अशोक कुच्छल - हां जबी तो मैं कह रहा हूं ना सिस्टम ही बनाण लग रहे हैं।
जयभगवान शर्मा -अब तो सुन लो प्रधान जी, हम तो शुरू में कहा था जो आप इन ले के साथ चल रहे हो ये जाट ही सिस्टम बिगाडैंगे। और वही काम हुआ। देख लो।
अशोक कुच्छल - सर, फिर आप साथ ना रहो इनके। अब आपने अलग गेर दिया देखो इनने। और आप अलग रहें। तो आप समझो ना बात नै। एक बात देखों, आप मेरे ते अलग बात कर लेते। सतनारायण ने बेचारे ने आपके साले ने कितनी बढिय़ा बात की थी, दोनों मेरे हाथ में हैं, बॉबी भी और आप भी। फिर क्या दिक्कत रह गई थी? मैं किसी बात तै नही नाटदा किसी तै कहण की जरूरत नहीं, मैं जिम्मेवार हूं।
जयभगवान शर्मा - ठीक है।
अशोक कुच्छल- आप इनसे कनर्सन कर के सतनारायण तै बात करा लो। बल्कि अपणे ये नहीं हैं आन्नद अर, ये भी गेल थे। हमारी मीटिंग हुई थी। हमारी सांझा चुल्हा होटल में मीटिंग हुई थी। सतनाराण बोले कि उनसे बता कर आए हैं 25-25 दिवा दो। मैंने कहा भाई 25 तो हैं ज्यादा। जयभगवान जी ले लो कुछ बी, बॉबी के लिए इतने ना कहो आप, ये मेरी बात हुई थी। क्योंकि बॉबी दस तो पहले ही कहवे था। पांच ते दस पे दस तक करा दे। अब बढ़े तो गलती है ना बॉबी की।
जयभगवान शर्मा - हूं-हूं। ना ठीक है।
अशोक कुच्छल - तो दादा आ जाओ। छोड़ो इस बात नै। कहां ऐफिडेविट देवोगे? क्यूं खामखाह में सोचण लग रहे हो? अक गलत है जी?
जयभगवान शर्मा - ठीक है। ठीक है, बाऊ जी।
अशोक कुच्छल - ठीक है दादा। तो आज आ जावोगे?
जयभगवान शर्मा - हां जी।
अशोक कुच्छल - बस थोड़े में काम चला लियो। घणे 25 लाख।
जयभगवान शर्मा - नहीं कोई बात नी।
अशोक कुच्छल - कह दियो। फोन कर दियो, कह दियो गरीब आदमी है, फिर मैं आपके साथ नी पांच साल? कमाल है आप काम करो, मौज लो।
जयभगवान शर्मा - हम आपके साथ हैं, हमे मान-सम्मान चाहिए। और क्या चाहिए?
अशोक कुच्छल - सम्मान मिलेगा, कती ना नी करता। सामान भी मिलेगा। इन बातां ने अपणे मन में रखया करो, इनके साथ मिलजुलकर मीटिंग ना बनाया करो। कोई दिक्कत नहीं बस।

जयभगवान शर्मा - ठीक है प्रधान जी, ठीक है।

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