सरकारी स्कूल
में बच्चों में जान की सुरक्षा व अध्यापकों की मांग के मामले की सुनवाई मंगलवार को
हाई कोर्ट में हुई । दरअसल आधे से ज्यादा सत्र बीत जाने पर भी अध्यापकों के उपलब्ध ना होने व
असुरक्षित स्कूली इमारत की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को कैथल के बालू स्कूल के छात्रों के वकील प्रदीप
रापडिया ने हाई कोर्ट से मामले की जल्दी सुनवाई की गुहार लगाई थी। ज्ञात रहे कि मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई
कोर्ट के जज राकेश जैन ने 11 अक्टूबर को हरियाणा
सरकार को फटकार लगाते हुए सरकारी स्कूलों की स्थिति पर चिंता प्रकट की और मुख्य सचिव को हिदायत दी कि
वो 23 अक्टूबर को एफिडेविट दायर
करके कोर्ट को बताये कि पूरे हरियाणा के सरकारी स्कूलों
में अध्यापकों के कितने पद खाली हैं और लड़के और कितने स्कूलों में लड़के व लड़कियों
के लिए पीने के पानी व शौचालय की समूचित व्यवस्था है? हालांकि हरियाणा सरकार ने 23 अक्टूबर को
हरियाणा सरकार जवाब दायर करने में विफल रही और मामला 30 जनवरी, 2018 तक टल गया
था । मंगलवार को भी हरियाणा सरकार ने जवाब दायर करने किए लये समय माँगा ! मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई क तारीख 6 निर्धारित
करते हुए हरियाणा सरकार को इस तारीख तक वाब दायर करने की हिदायत दी है ।
Experiences of A Rebel Lawyer-Lover-Saint & ...... Former Law Officer: C.I.C. AND N.I.A.
Tuesday, October 31
सरकारी स्कूल में बच्चों में जान की सुरक्षा व अध्यापकों की मांग के मामले में हरियाणा सरकार हाई कोर्ट में जवाब दायर करने में विफल! मामले की सुनवाई होगी 6 नवम्बर को
स्कूली बच्चों
किए वकील प्रदीप रापडिया ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा जवाब दायर करने के लिए
बार समय माँगना गरीब बच्चों की शिक्षा के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है और
इस प्रकार मामले को लटकाकर याचिका के उदेश्य को ख़त्म करने की निति पर काम करने का
हरियाणा सरकार पर आरोप लगाया।
हाल ही में
पटना यूनिवर्सिटी में प्रधान मंत्री मोदी ने विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के लिए दस हज़ार करोड़ रुपये
की सहायता देने की
घोषणा की । लेकिन सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा के लिए मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध
करवाने में विफल होने की स्थिति में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की स्थापना का सपना देखना शेखचिल्ली
के सपने जैसा है ।
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