Experiences of A Rebel Lawyer-Lover-Saint & ......
Former Law Officer: C.I.C. AND N.I.A.
Wednesday, October 11
सरकारी स्कूल में जान-माल की सुरक्षा व अध्यापकों की मांग को लेकर बच्चों ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाज़ा ! हाई कोर्ट ने पुछा पूरे हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कितने पद हैं खाली ?
बच्चों द्वारा शिक्षा विभाग को लिखा गया पत्र
स्कूल में ना सुरक्षित ईमारत ना अध्यापक: कैसा शिक्षा का मौलिक अधिकार?
सरकारी स्कूल में
जान-माल की सुरक्षा व अध्यपकों की मांग को लेकर बच्चों ने खटखटाया हाई कोर्ट का
दरवाज़ा ! हाई कोर्ट ने पुछा पूरे हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कितने पद हैं खाली
?
हरियाणा में सरकारी स्कूलों का
ये आलम है कि छटी-सातवीं कक्षा के बच्चों को टूटी हुई कक्षा की ईमारत से अपनी जान
की रक्षा के लिए व अनिवार्य विषयों को पढ़ाने के लिए अध्यापक की माँग को लेकर हाई
कोर्ट की शरण लेनी पड़ी है।दरअसल कैथल जिले के बालू
गाँव के कक्षा छटी से दसवीं तक के सात छात्रों
अमरजीत, अभिषेक, सौरभ, अजय, मंदीप, सावन, विकास ने अपने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम
से हाई कोर्ट के सामने ये कहते हुए गुहार लगाईं है कि संविधान के अनुच्छेद 21 (ए) के अंतर्गत बच्चों
को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया है लेकिन टूटी हुई कक्षा की ईमारत व बिना अध्यापकों के मौलिक अधिकार किसी काम का नहीं है।याचिका के साथ टूटी हुई
ईमारत की फोटो लगाते हुए छात्रों के वकील प्रदीप रापडिया ने हाई कोर्ट को बताया कि
कई साल से कक्षा की इमारात को कंडम घोषित किया हुआ; जिससे बच्चों को जान को लगातार
खतरा बना हुआ है।
स्कूल की टूटी हुई ईमारत से पत्थर
के टुकड़े गिरते हैं
टूटे हुई स्कूली ईमारत की फोटो
और तो और आधे से ज्यादा सेशन
बीत जाने के बाद भी स्कूल में विज्ञान व मैथ
जैसे अनिवार्य
विषयों के लिए भी अध्यापक उपलब्ध न होने से बच्चों
के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार का हनन हो
रहा है।स्कूल के 45 से अधिक बच्चों ने अपने हाथ से पत्र लिखकर मौलिक
शिक्षा निदेशक व जिला शिक्षा अधिकारी को भी मामले से अवगत करवाते हुए लिखा था कि
स्कूल की टूटी हुई ईमारत से पत्थर के टुकड़े गिरते हैं और उन्होंने जब से दाखिला
लिया है उनको विज्ञान का अध्यापक नहीं मिला और ना ही स्कूल में पीने के पानी व
शौचालय की समूचित व्यवस्था है। लेकिन शिक्षा
विभाग द्वारा बच्चों की मांगों को अनदेखा करने पर उनको हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी । ज्ञात रहे कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई फैंसलों में साफ़ कर चुका है कि बिना
सुरक्षित के माहौल के व बिना अध्यापकों के अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार बेमानी है।बच्चों के वकील की बहस सुनाने के बाद चंडीगढ़ हाई कोर्ट के जज राकेश जैन ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए सरकारी स्कूलों की स्थिति पर चिंता प्रकट की और मुख्य सचिव को हिदायत दी कि वो एफिडेविट दायर करके कोर्ट को बताये कि पूरे हरियाणा के
सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के कितने पद खाली हैं और लड़के और कितने स्कूलों में लड़के व लड़कियों के लिए पीने के पानी व शौचालय की समूचित व्यवस्था है? कैथल के जिला शिक्षा अधिकारी व बालू स्कूल के प्रिंसिपल को भी नोटिस ज़ारी करते हुए 23 अक्टूबर से पहले बालू स्कूल के सम्बन्ध में याचिका का जवाब देने को कहा है ।
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