मुआवजा आबंटन
में भ्रस्टाचार का आलम: जमीन की बाउंड्री से लगती दांई व बाँई तरफ जमीन पर बरसात
और ओलावृष्टि से फसल को नुकसान, लेकिन बीच
वाली जमीन की फसल को कोई नुकसान नहीं । हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार, विजिलेंस निदेशक, कृषी विभाग को किया नोटिस ज़ारी ।
चंडीगढ़ 12.01.2016: हरियाणा में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से फसल को नुकसान होने पर किसानों
को मुआवजा मिलने में हुए घोटाले को लेकर चंडीगढ़ हाई कोर्ट के जज राजेश बिंदल ने हरियाणा
सरकार, विजिलेंस निदेशक, कृषी विभाग के सचिव
व राजस्व विभाग के सचिवे को नोटिस जारी किया है । दरअसल देश में किसानों को मुआवजा
बांटने की प्रक्रिया ही इतनी भ्रष्ट, पुरानी और सुस्त है कि
किसान पटवारी के रहमो कर्म पर निर्भर रहने को मजबूर है । फसल चौपट होने के बाद
राहत घोषणाओं के दशकों से चले आ रहे ढर्रे को बदलने की जरूरत है । मुआवजा तय करने
की प्रक्रिया का आधुनिकीकरण व किसान हितैषी बनाने की दिशाओं में नीति नियंताओं को
सोचना होगा ।
कैथल के ७० वर्षीया बुजुर्ग किसान बलवंत राज ने अपने वकील प्रदीप रापडिया
के माध्यम से आरोप लगाया कि को मुआवज़ा देने के लिये पटवारी ने उससे यह कहकर घूस
मांगी कि उसे भी अपने बड़े आला अधिकारियों को घूस देनी पड़ती है । जब याचिकर्ता ने
घूस देने से मना किया तो उसे सूचना के अधिकार से प्राप्त सूचना से पता चला कि उसकी
दांई व बाँई तरफ बाउंड्री से लगती जमीन पर बरसात और ओलावृष्टि से फसल को नुकसान
होना दिखाया गया, लेकिन उसकी
फसल को कोई नुकसान होना नहीं पाया गया । ऐसे में उसने पटवारी तहसीलदार, एस. डी. एम. व अन्य अधिकारियों के दफ्तर अनगिनत चक्कर लगाकर मुआवजा देने की फ़रियाद की,
लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया घूस इसके बाद उसने सी.एम.
विंडो के माध्यम से मुख्मंत्री को मामले से अवगत कराया, लेकिन
मामले की जांच की जिम्मेवारी उन्हीं अधिकारयों को सौंप दी जिनके खिलाफ उसने घूस
माँगने की शिकायत की थी । सब जगह से निराशा हाथ लगाने के बाद किसान ने विजिलेंस
विभाग के सचिव व विजिलेंस निदेशक को शपथ पत्र देकर मामले की जांच करने की गुहार
लगाईं । लेकिन विजिलेंस विभाग से भी निराशा हाथ लगने पर उसने अपने वकील प्रदीप
रापडिया के माध्यम से हाई कोर्ट में गुहार लगाई ।
रापडिया ने कहा कि सरकार एक ओर तो भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात कर रही
है वहीं दूसरी ओर मुआवजा मिलने में हुए बड़े घोटाले को अनदेखा किया जा रहा है। । घूस
ना देने पर किसान मुआवज़े के लिये धक्के खा रहा है और सरकार चैन की नींद सो रही है
। मुआवज़े के लिये किसानों से सरेआम घूस मांगी जा रही है, लेकिन बड़े अधिकारियों के मिली-भगत के कारण किसानों की
शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है । याचिकर्ता किसान के वकील की दलील सुनने के बाद
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार, विजिलेंस निदेशक, कृषी विभाग के सचिव व राजस्व विभाग के सचिव को २१ मार्च तक जवाब देने के
आदेश दिए हैं ।
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