Saturday, March 5

राजनीतिक षड्यंत्र के चलते धार्मिक वैर की तर्ज़ पर हरियाणा के लोगों को जातिवाद के नाम पर बाँटने का षड्यंत्र ।


अभी एक मित्र से पहले व्हाट्स अप पर व फिर फ़ोन पर बात हुई बातचीत की शुरुआत कुछ इस तरह से हुई:-
सर जी हरियाणा में एक अलग राजनीतिक पार्टी बन सकती है, by getting the momentum of anti-jat wave. See INLD is jaat party, congress is also party of jaat in Haryana. BJP also is being said to have favoured Jaat during the protest. What else remains for non-jaat. I believe there will be someone who will form party to gain the non-jaat voter momentum. If someone formed party with non-jaat ideology. His party will be hit.अभी तो नॉन-जाट की सपोर्ट में केवल बीजेपी थी, अब वो भी कटघरे में है सर जी अब तो विधानसभा में शवेत पत्र लाने से ही यकीं होगा कि जाटों को आज तक कितना फायदा दिया है सरकारों ने
मेरी आदत है कि मैं हमेशा अपने व्यक्तिगत अनुभव से चीज़ों को ज्यादा तोलता हूँ, ना कि बाहरी घटनाओं के प्रभाव से । मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि का वर्तमान आरक्षण के सन्दर्भ में अवलोकन करना चाहता हूँ ।
            कैथल जिले के बालू गाँव में मेरे दादा की पीढ़ी में पाँच भाई हैं (गाँव का नाम इसलिए लिख रहा हूँ कोई भी तथ्यों के जांच सके) और मेरे पडदादा की तरफ से कुल साढ़े अठारह किल्ले की जमीन पाँचों भाइयों को मिली, यानी की हर एक को तीन किल्ले से थोड़ी सी ज्यादा ज़मीन मिली । और सभी पाँचों भाइयों के आगे दो-तीन बच्चे हैं और सभी पीढ़ियों का इतिहास उठाने पर मेरी पीढ़ी तक सिर्फ एक मेरे पापा व दादा के एक सबसे छोटे भाई जेबीटी टीचर को छोड़कर कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है, सरकारी नौकरी छोडो आज तक सरकार से शायद किसी लोन तक का भी लाभ नहीं लिया । मेरे पापा भी पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल भरने की नौकरी, हड्डी-रोड़ा फैक्ट्री में चौकीदार की नौकरी, शराब के ठेके पर सेल्समैन की नौकरी, ट्रेक्टरों के मिस्त्री आदि का काम करने के बाद सरकारी महकमे में  पियन भारती हुए थे, बाद में पेपर क्लियर करके दो परमोसन लेने के बाद रिटायर हुए  । और मेरी व मेरी बहनों की सरकारी स्कूल में पढ़ाई के अलावा सारी उम्र में मेरे पिता जी अपने लिए सिर्फ दो कमरे का मकान ही बना पाए और भी जीपीएफ लोन लेकर ।
            दूसरी तरफ अगर दुसरे करीबी रिश्ते; नाना की तरफ के रिशते को लूं तो दस किल्ले की ज़मीं में मेरे चार मामा हिस्सेदार हैं और आगे मामाओं के दो दो व तीन-तीन बच्चे हैं और इन सबमें से एक भी सरकारी नौकरी में नहीं है । और मेरी नज़रों के सामने मैंने देखा कि मेरी दादी-दादा सुबह तीन बजे से लेकर रात के नौं बजे तक खेत का काम करते थे । आस-पास नज़र मारने पर ज्यादातर लोगों का मेरे जैसा ही हाल देखता हूँ ।
चारों तरफ सभी तथाकथित पैंतीस बिरादरी के नाम से  हल्ला मचा हुआ है कि सभी सरकारों ने जाटों को ही लाभ पहुंचाया, तो सोचता हूँ पता नहीं सभी सरकारें जब सिर्फ जाटों को नौकरी व अन्य लाभ बाँट रही थी तौ मेरे आस-पास के लोगों पर सरकार की  नज़रें इनायत क्यों नहीं हुई ।
           खेती-बाड़ी से जुडी अन्य जातियों की भी लगभग ऐसी ही दसा है , इसलिए मुझे हमेशा लगता है खेती-बाड़ी से जुड़े लोगों की सिर्फ एक ही जाती है और वो है ‘किसान जाती’ । हरियाणा में जब भी जाट आन्दोलन की मांग उठी तब तब सोशल मीडिया में एक मैसेज भी वायरल हुआ जिसमे दावा किया गया की हरियाणा में हर स्तर पर जाट दूसरी जातियों से आगे हैं. उनके मंत्री, सरकारी नौकरियों इत्यादि में सबपर भारी हैं. उन्हें आरक्षण की जरुरत नहीं है । इसी सन्दर्भ में  हाल ही में एक पत्रकार दोस्त आदित्य की आंकड़ों सहित रिपोर्ट पढ़ने को मिली उन्होंने साल 2012 में यह रिपोर्ट बनाई थी, वह रिपोर्ट आपके सामने रख रहा हूँ. इससे आपको पता चलेगा की आखिर सच्चाई किया है क्या वाकई जाटों की वह स्थिति है जो इस मैसेज में बताई जाती है ? जो रिपोर्ट मैं दे रहा हूँ यह हवा हवाई या फर्जी आंकड़ों पर नहीं बनाई गई है बल्कि इसे सरकारी रेकोर्ड के आधार पर तैयार किया गया है. आप भी देखिये की हरियाणा में जाटों की क्या स्थिति है. आन्कड़े 01.09.2012 तक के हैं. पिछले चार साल में हो सकता है थोड़े बहुत प्रतिशत कम ज्यादा हुए हों लेकिन इतने नहीं जितने प्रचारित किये जाते हैं.

हरियाणा की कुल जनसँख्या का 28.78 फीसदी जाट/जट सिख (3.25%) हैं
  •      अग्रवाल 4 फीसदी,
  •      अरोडा और खत्री 6.5 फीसदी
  •      ब्राह्मण 6.51 फीसदी हैं.
  •      अन्य जातियां (जिन्हें आरक्षण है) 49.2% हैं.
  •       अखिल भारतीय सेवाओं में हरियाणा से सम्बन्ध रखने वाले जाट अफसरों की संख्या 0.43 फीसदी,
  • *      अग्रवाल 0.55 फीसदी,
  • *      ब्राह्मण 0.61 फीसदी
  • *      अन्य 1.09 फीसदी हैं. हरियाणा की सभी जातियों के 3.35 फीसदी अफसर इन सेवाओं में हैं.
हरियाणा में तैनात अखिल भारतीय सेवाओं में अफसरों की संख्या की बात करें तो
  • *      जाट 12.47%,
  • *      अग्रवाल 16.38%,
  • *      अरोड़ा-खत्री 14.94%,
  • *      ब्राह्मण 18.1 % और अन्य जातियों के 32.75% अफसर हैं.
हरियाणा सिविल सर्विस (एक्जीक्यूटिव एंड ज्युडिशियल) में:
  • *      जाटों की संख्या 13.24%,
  • *      अग्रवाल 17.97%,
  • *      अरोड़ा खत्री- 13.48%,
  • *      ब्राह्मण 12.77%
  • *      अन्य जातियों के 36.4 % हैं.
हरियाणा पुलिस सर्विस (सीधी भर्ती 35 पद)
  • *      जाट 17.14%,
  • *      अग्रवाल 5.71%,
  • *      अरोड़ा खत्री 5.71%,
  • *      ब्राहमण 11.43%
  • *      अन्य जातियां 37.14% हैं.
हरियाणा में जिला रेवेन्यु अधिकारी के 35 पदों में
  • *      जाट 17.14,
  • *      अरोड़ा खत्री 5.71,
  • *      अग्रवाल 5.71%,
  • *      ब्राह्मण 17.14
  • *      अन्य जातियां 40% हैं.
जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक के पदों पर
  • *      जाट 6.67%,
  • *      अरोड़ा खत्री 0%,
  • *      अग्रवाल 13.33%,
  • *      ब्राह्मण 13.33 % और
  • *      अन्य जातियों के 53.33 % अफसर हैं.
सीनियर मेडिकल अफसर के तौर पर
  • *      जाट 7.44%,
  • *      अग्रवाल 19.42%,
  • *      अरोड़ा खत्री 14.15%,
  • *      ब्राह्मण 7.19% और
  • *      अन्य जातियों के 45.08% लोग हैं.
                हरियाणा में जाट मंत्रियों की संख्या कभी भी 40 फीसदी से ज्यादा नहीं रही वर्तमान सरकार में यह न्यूनतम है पैट्रोल पम्प, गैस एजेंसियों को लेकर जो आंकड़े दिए जाते हैं पूरी तरह से फर्जी हैं हाँ हथियारों के लाइसेन्स की जो बात मैसेज में है उसपर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है लेकिन उसे भी बढा कर बताया गया है आपसे अनुरोध है की बिना तथ्यों के कोई भी प्रचार न करें इससे किसी का भला नहीं होगा हाँ सामाजिक सौहार्द जरुर बिगड़ेगा
हरियाणा में शायद पहली बार जातियों के बीच इतना मन-मुटाव हुआ है । मुझे तो एक बहुत बड़े राजनीतिक षड्यंत्र की बू आ रही है और मेरे पढ़े-लिखे विद्वान दोस्त भी इस षड्यंत्र देख नहीं पा रहे हैं और इसका शिकार होकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने में कहीं न कहीं आग में तेल डालने के काम कर रहे हैं

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