Tuesday, April 12

वैट रिफंड घोटाला: सीबीआई और हरियाणा सरकार को नोटिस


Amar Ujala


हरियाणा में हजारों करोड़ रुपए के वैट रिफंड घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। इस मामले में जस्टिस परमजीत सिंह की एकल बेंच ने सीबीआई और हरियाणा सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।

कोर्ट ने सभी पक्षों को 11 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मामले को दबाया जा रहा है, यह करीब एक लाख करोड़ रुपये का घोटाला है और बड़ी बिल्डर कंपनियों ने सरकार को चूना लगाया है।

कैथल के रघबीर सिंह और राजस्थान के शिव साहनी ने एडवोकेट प्रदीप रापड़िया के माध्यम से यह आरोप भी लगाया है कि वैट रिफंड घोटाले का पैसा मनी लांडरिंग में लगा हुआ है, लिहाजा इस मामले में डायरेक्टोरेट ऑफ इनफोर्समेंट से भी जांच कराई जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने ईडी को भी नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बड़े स्तर पर वैट रिफंड लिया गया, जबकि वैट अदा किया ही नहीं गया था।

इसकी शिकायत लोकायुक्त से की गई और लोकायुक्त ने सरकार को जांच की सिफारिश की थी। राज्य के 10 जिलों में की जांच में सामने आया था कि 10 हजार 618 करोड़ रुपए का फर्जी वैट रिफंड हो गया। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि यह घोटाला एक लाख करोड़ रुपये का है।
 
सभी पक्षों को 11 मई तक जवाब दाखिल करना होगा

याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जांच हिसार की डीईटीसी कमला चौधरी को सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने जांच नहीं की तो जांच तृप्ता शर्मा को दी गई। फिर भी जांच नहीं हुई तो आईजी श्रीकांत जाधव को जांच के लिए आईजी श्रीकांत जाधव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई, लेकिन बाद में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रोशनलाल ने जांच का दायरा कैथल जिले तक सीमित करने के लिए लोकायुक्त से आग्रह कर डाला।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक वक्त मौका ऐसा आ गया था कि जांच मुकम्मल होने को थी, लेकिन अब जांच से जुड़े अधिकारियों का तबादला किया जा रहा है। एक मंत्री ने जांच से जुड़े एक अधिकारी को जनहित मांग पर स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने सरकार को बार बार मांग पत्र सौंप कर जांच निष्पक्ष करने का आग्रह किया तो उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हो गईं।

याचिका में मांग की गई है कि चूंकि यह मामला अंतर्राज्यीय है और देश की नामी बिल्डर कंपनियों ने सरकार को चूना लगाया है, ऐसे में सरकारी एजेंसियां निष्पक्ष जांच नहीं कर सकतीं, लिहाजा जांच केंद्रीय निष्पक्ष एजेंसी से कराई जानी चाहिए। वैट रिफंड की वसूली की जानी चाहिए मनी लांडरिंग की जांच होनी चाहिए।

साथ ही याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। हाईकोर्ट ने सीबीआई, हरियाणा सरकार और ईडी को नोटिस जारी करके जवाब मांग लिया है। साथ ही याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को 11 मई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। 

10 हजार नहीं, 50 हजार करोड़ का वैट रिफंड घोटाला



हरियाणा में वैड रिफंड में 10 हजार करोड़ नहीं, बल्कि पचास हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। यह आरोप लगाया है मामले में शिकायतकर्ता और कैथल के सतबीर किच्छाना ने। मामले की एसआईटी जांच से भी सतबीर संतुष्ट नहीं हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि रोजाना प्रदेश सरकार को पांच करोड़ रुपये का चूना लग रहा है। अगर सही तरीके से जांच की जाए तो यह चपत सरकार के खजाने में जमा हो सकती है।

सतबीर ने प्रदेश में टैक्स माफिया, ट्रांसपोर्टरों एवं भ्रष्ट अधिकारियों से जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा भी मांगी है। इसके अलावा कहा कि कैथल में 18 करोड़ नहीं, 300 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है।

एसआईटी ने 10 हजार करोड़ का बताया था घोटाला

गौरतलब है कि मामले में सतबीर की शिकायत पर लोकायुक्त के आदेश पर एसआईटी गठित की गई। टीम ने जांच रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंप दी है। रिपोर्ट में प्रदेश भर में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की बात कही गई है।

घोटाले को उजागर करने के लिए अप्रैल 2011 से संघर्ष करने वाले सतबीर ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि जो जांच रिपोर्ट सौंपी गई है, वह उससे संतुष्ट नहीं हैं। लोकायुक्त ने रिपोर्ट के लिए 22 जनवरी की तिथि निर्धारित की है।

वह मामले में विस्तृत जांच की मांग करेंगे। यदि पूरे मामले की जांच की जाए तो हरियाणा में टैक्स चोर माफिया, भ्रष्ट अधिकारी, भ्रष्ट ट्रांसपोर्टर एवं टैक्स चोरों को संरक्षण देने वाले कई भ्रष्ट नेताओं के चेहरे भी उजागर हो सकते हैं। टैक्स चोरी के अलावा फर्जी कागजातों के आधार पर करोड़ों रुपये की राशि सरकार से टैक्स रिफंड के माध्यम से हड़पी जा रही है।

‘ऐसे होती है टैक्स एवं रिफंड की चोरी’

पेशे से ट्रांसपोर्टर रह चुके सतबीर ने बताया कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली सहित कई राज्यों से लोहा, पत्थर, चावल इधर-उधर आता-जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैथल से फर्जी खरीद का बिल दिखाकर सरकार को टैक्स भरा दिखाकर करोड़ों रुपये का रिफंड करवा लिया जाता है।

इसमें विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। वे चूंकि ट्रांसपोर्टर रहे हैं, इसीलिए उन्हें यह पता है कि किस फाइल में फर्जी बिल लगाए गए हैं। जब कैथल की केवल 25 फाइलों की जांच में 100 करोड़ का मामला उजागर हो सकता है तो यहां ऐसी करीब 1000 फाइलें हैं।

इसके अलावा वर्ष 2011 में उन्होंने जब शिकायत की थी तो केवल चार गाड़ियों की जांच में सात लाख रुपये का जुर्माना विभाग ने किया था। ऐसे में हरियाणा में हर रोज चलने वाली 550 से ज्यादा गाड़ियों की जांच में यह टैक्स चोरी कितनी हो सकती है, इस बात का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।


No comments:

Post a Comment