Thursday, December 14

14 साल की बच्ची के यौन शोषण मामले में चार पुलिस कर्मियों को आई.जी. की रिपोर्ट में दोषी पाया: लेकिन फिर भी कोई एफ.आई.आर. नहीं!

कैथल पुलिस के CIA Staff द्वारा 14 साल की बच्ची के यौन शोषण मामले में आज सरकारी वकील ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि IG, Karnal Range ने अपनी जाँच में CIA Staff के 4 पुलिस अधिकारियों, जिनमे 1 इंस्पेक्टर है, को ड्यूटी में कोताही के लिए जिम्मेवार पाया, क्योंकि रात को लड़की तो थाने लेजाते वक़्त महिला पुलिस को साथ मे नहीं लिया। जब कोर्ट ने पूछा कि पुलिस वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही की तो कोर्ट को सूचित किया गया कि 4 पुलिस वालों को 1 महीने के लिए ससपेंड किया गया था। इस पर मैने कोर्ट को बताया कि सभी पुलिस वालों के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज होनी चाहिए थी क्योंकि Suspension is only an eye wash to protect the police officials. IG की रिपोर्ट भी कोर्ट से छुपाई जा रही है। इस पर कोर्ट ने सरकार को IG की Enquiry Report को कोर्ट के सामने पेश करने की हिदायत दी है। दरअसल मीडिया द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर मामला उठाने पर हरियाणा सरकार ने मामले की जाँच आई.जी., करनाल रेंज को सौंपी थी !

       हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए पीडिता के वकील प्रदीप रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि सी.आई.ए. पुलिस रेप पीडिता को महिला थाने लेजाने की बजाय रात को 10 बजे सी.आई.ए. थाना ले गई और वहाँ पर उसके साथ हुए दुष्कर्म की पुष्टि करने की जाँच के बहाने  उस की कमीज के बटन खोल कर वक्ष दिखाने को कहा औऱ अश्लील भाषा का प्रयोग किया।
      दरअसल तितरम थाने में दर्ज दुष्कर्म से सम्बंधित मामले में पुलिस पीड़िता को बरामद करके रात के 10 बजे महिला थाने में लेजाने की बजाय सी.आई..थाने ले गयी और जाँच के नाम पर कथित तौर पर पुलिस वालों ने 14 वर्षीया युवती के साथ जाँच के नाम पर बद्सुल्की कीजिसकी शिकायत बालिका ने आला पुलिस अधिकारियों को भी की लेकिन कोई कार्यवाही ना होने पर पीड़ित बालिका ने पुलिस वालों के खिलाफ एफ.आई.आरदर्ज करवाने के लिए अपने वकील प्रदीप रापडिया के माध्यम से के लिए हाई कोर्ट में गुहार लगानी पड़ी ! इस पर हाई कोर्ट की जज रेखा मित्तल ने डी.जी.पी. हरियाणा को सी.आई.ए. सटाफ के खिलाफ एफ.आई.आर. करने बारे नोटिस जारी करके 5 जुलाई तक जवाब दायर करने की हिदायत दी थी ! हाई कोर्ट में जवाब दायर करते हुए एस.पी. कैथल कोर्ट को बताया था कि पुलिस वालों का पीड़िता के यौन शोषण में शामिल होना नहीं पाया गया !

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