चंडीगढ़ हाई
कोर्ट: ढींगरहेडी, नूह(मेवात) दोहरे हत्याकांड व गैंग रेप
मामले में सोमवार को सी.बी.आई. जाँच के बारे में स्पष्टीकरण रिपोर्ट फाइल करने के
लिए समय माँगा, ऐसे में हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों की अंतरिम
जमानत हाई कोर्ट ने 25 जुलाई तक बढ़ा दी है। इससे
पहले 7 मार्च, 2018 को सी.बी.आई. द्वारा कोई सबूत न पेश कर पाने के कारण
हाई कोर्ट इन युवकों को अंतरिम जमानत की राहत दी थी ! हरियाणा पुलिस की एस.आई.टी.
द्वारा गिरफ्तार किये गए युवकों के वकील प्रदीप रापडिया ने बताया कि 24 जनवरी 2018 को सी.बी.आई. की विशेष अदालत में चार अन्य युवकों
के खिलाफ चालान दायर करते हुए सी.बी.आई. ने दावा किया
दरअसल भयानक घटना को अंजाम देने में एक्सल गैंग के 4
लोगों का हाथ था और इन चार लोगों के डी.एन.ए. व फिंगर प्रिंट
घटनास्थल से प्राप्त चीज़ों से मिलान होने से इन लोगों की अपराध में शामिल होने की
पुष्टी हो गयी है । हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए
गए युवकों के खिलाफ कोई साबुत नहीं मिला !
25 अगस्त 2016 की रात
को घटित भयानक घटना में एक ही परिवार के दो लोगों की हत्या कर दी गयी थी व दो
महिलाओं के साथ गैंग रपे हुआ था और परिवार के अन्य लोगों को चोटें आई थी । भयानक हादशे ने उस वक्त साम्प्रदायिक व राजनीतिक रंग ले लिए जब बलात्कार की
शिकार मुस्लिम लड़कियों ने दिल्ली में हुई प्रेस कांफ्रेंस करके इलज़ाम लगाया कि
हत्याकांड व बलात्कार को उनके बीफ खाने के इलज़ाम के तहत अंजाम दिया गया । इसके
बाद देश में काफी साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो गया और नूह का क्षेत्र राजनितिक दलों
के लिए राजनितिक अखाड़ा बन गया । घटना के 3 दिन
बाद ही हरियाणा सरकार द्वारा गठीत एस.आई.टी. ने अपराध की गूथी सुलझाने का दावा
करते हुए पास ही के गाँव मोहमदपुर अहीर के 4 युवकों को
गिरफ्तार किया और दावा किया गया कि बलात्कार की
शिकार युवतियों ने इन चारों युवकों
पहचान करके इनकी घटना में शामिल होने की पुष्टी की थी । इसके बाद मामले की संजीदगी को देखते हुए व
बेकसूरों की गिरफ्तारी के इलज़ाम के चलते एक अक्टूबर 2016 को
मामले की जाँच हरियाणा सरकार ने सी.बी.आई. को सौंप दी ।
दोहरे हत्याकांड व गैंग रेप मामले ने नया मोड़ तब आया जब
बलात्कार की शिकार लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में
एडवोकेट सलमान खुर्शीद (पूर्व कानून मंत्री) के माध्यम से याचिका दायर करके हाई कोर्ट
द्वारा दी गई जमानत के आदेश को चुनौती दी है । हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों के वकील प्रदीप रापड़िया, जो सुप्रीम
कोर्ट में भी इनके वकील हैं, ने बताया कि वैज्ञानिक जाँच में पाए गए सबूतों के आधार पर
असली अपराधियों के गिरफ्तार होने के बावजूद दोहरे हत्याकांड व बलात्कार की शिकार
युवतियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालना मामले को और ज्यादा पेचीदा बनाता
है और पूरी दर्दनाक घटना व बलात्कार की शिकार युवतियों के दावे को शक के घेरे में
लाता है । ऐसा लगता है जैसे निहित स्वार्थ के
चलते व राजनितिक कारणों से मामले को नया मोड़ देने का प्रयास किया जा रहा है और उन घटनाओं को मजबूती प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके चलते बिना किसी सबूत के ही राजनीतिक दबाव के चलते बेकसूर युवकों
को दो साल तक जेल में सड़ने पर मजबूर किया गया ।
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